मिर्जापुर 3 रिव्यू: बहुप्रतीक्षित और चर्चित वेब सीरीज ‘मिर्जापुर 3’ का वह भौकाल दर्शकों के सामने है, जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था। निर्देशक गुरमीत सिंह ने पिछले दो सीजन के जबरदस्त कलाकारों के साथ कहानी और किरदारों को खूबसूरती से आगे बढ़ाया है, मगर जिस शॉक वैल्यू की या कहें भौकाल की ऑडियंस को उम्मीद थी, वो सीरीज में उस दमदार ढंग से उभर कर नहीं आती। कलाकारों की एक्टिंग सीरीज का प्लस पॉइंट है, मगर इसकी रफ्तार अगर पहले सीजन जैसी तेज-तर्रार होती, तो सोने पे सुहागा वाली कहावत बन जाती।
खास बातें
मिर्जापुर 3 की कहानी
मिर्जापुर 3 की कहानी पिछले सीजन के अंत से ही शुरू होती है। जैसा कि दर्शक जानते हैं कि यह बाहुबलियों के बल, छल, कपट और सत्ता की कहानी है। गुड्डू पंडित (अली फजल) मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) को मार कर और कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) को अपने रास्ते से हटा कर मिर्जापुर का स्वघोषित बाहुबली बन चुका है। मगर वह इस बात से अनजान है कि शरद शुक्ला (अंजुम शर्मा) घायल कालीन भैया को बचा ले गया है और छुपकर उनका इलाज करवा रहा है। मिर्जापुर की गद्दी पर आसीन होने के बीच गुड्डू के रास्ते का कांटा है, शरद शुक्ला।
उसी की तरह पश्चिम के कुछ बाहुबली गुड्डू को अपना सरताज मानने से इंकार करते हैं। पहले से ज्यादा खतरनाक बन चुकी लेडी डॉन गोलू (श्वेता त्रिपाठी) गुड्डू की राइट हैंड बन कर कदम-कदम पर उसे दुश्मनों की हर चाल से बचाती है। गुड्डू को रास्ते से हटाने के लिए शरद राज्य की मुख्यमंत्री और मुन्ना की पत्नी माधुरी यादव (ईशा तलवार) के साथ षड्यंत्र रचता है। भयमुक्त प्रदेश की मुहिम के साथ माधुरी अपना बदला लेने के लिए बाहुबलियों को ही बाहुबलियों के खिलाफ खड़ा करने की योजना बनाती है।
कालीन भैया का भौकाल
दूसरी तरफ बीना (रसिका दुग्गल) अपने पुराने जख्मों को नहीं भूली हैं। वह अपने नवजात बच्चे की देखभाल में लगी है, जिसका पिता उसी का ससुर (कुलभूषण खरबंदा) रहा है। यहां गुड्डू का पिता रमाकांत पंडित (राजेश तैलंग) एसएसपी मौर्य (अमित सियाल) को मारने के अपराध में आत्मसमर्पण कर देता है। उसकी पत्नी वसुधा (शीबा चड्ढा) गुड्डू के साथ रहने से इंकार कर देती है।
वहां सिवान में भरत त्यागी (विजय वर्मा) ने गुप्त रूप से अपने जुड़वा भाई छोटे उर्फ शत्रुघ्न त्यागी (विजय वर्मा) की पहचान चुरा ली है। जबकि सभी मानते हैं कि छोटे मर चुका है। दद्दा (लिलिपुट) अपने बेटे छोटे की मौत को स्वीकार चुका है। मगर सबसे बड़ा सवाल है कि क्या मौत के मुंह से वापस लौटे कालीन भैया का भौकाल एक बार फिर कायम हो पाएगा? क्या गुड्डू अपने दुश्मनों का सफाया कर मिर्जापुर का गद्दीनशीन बन पाएगा? ऐसे ही कई सवालों का जवाब देखने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।
मिर्जापुर 3 रिव्यू
मिर्जापुर 3 की सबसे बड़ी खूबी है अंडरडॉग्स गुड्डू और शरद का उदय, जो सीरीज में एक नयापन लाता है, मगर इसकी रफ्तार पिछले सीजन से धीमी है। ‘मिर्जापुर’ जैसी सीरीज में दर्शक तेज-तर्रार पेस की अपेक्षा रखता है। हालांकि लेखक अपूर्व धर, अविनाश सिंह, अविनाश तोमर और विजय नारायण ने कहानी में कई टर्न और ट्विस्ट रखें हैं, मगर बीच -बीच में वो अपनी पकड़ खोते हैं। सीरीज का दस एपिसोड होना लंबा लगता है। बावजूद इसके हर किरदार का छिपा हुआ एजेंडा उत्सुकता बनाए रखता है।
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कालीन भैया को काफी कम स्क्रीन स्पेस दिया गया है, जिसकी कमी उनके चाहने वालों को जरूर खलेगी, वहीं मुन्ना का न होना भी याद आता रहता है। हां, सिहरन पैदा करने वाले एक्शन सीन, कोर्ट रूम ड्रामा, नेपाल में गुड्डू का जलवा, सीवान में हमला, गुड्डू और शरद की भिड़ंत जैसे सीक्वेंसेज दिलचस्प बन पड़े हैं। क्लाइमैक्स के दस मिनट दर्शकों को चौंकाने के लिए काफी हैं। संजय कपूर और कुणाल कुरैशी की सिनेमैटोग्राफी एक्शन सीन्स में खिलती है। आनंद भास्कर का संगीत औसत है, मगर जॉन स्टीवर्ट एडुरी का बैकग्राउंड स्कोर बांधे रखता है।
मिर्जापुर 3 में कलाकारों की एक्टिंग
मिर्जापुर 3 cast में एक से बढ़ कर एक नगीने हैं। इस बार गुड्डू पंडित का जलवा पूरी तरह से नुमायां होता है। उन्होंने अपने अक्खड़, अनप्रेडिक्टिबल और खतरनाक अंदाज को एक विशेष शैली में अंजाम दिया है। वे इस रॉ किरदार को पर्दे पर यादगार बनाते हैं, वहीं शरद शुक्ला के रूप में अंजुम शर्मा ने संयमित एक्टिंग की है। माइंड गेम खेलने वाली लेडी डॉन गोलू के रूप में श्वेता त्रिपाठी छाई हुई हैं। सीमित स्क्रीन स्पेस में भी कालीन भैया के किरदार में पंकज त्रिपाठी अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं।
बीना के किरदार को रसिका उसी शिद्दत से निभाती हैं। सीएम माधुरी के किरदार को ईशा तलवार ने चतुराई से निभाया है। विजय वर्मा को जाया किया गया है। गुड्डू की मां की भूमिका में शीबा चड्ढा, पिता के किरदार में राजेश तैलंग, रॉबिन के किरदार में प्रियांशु पेनयुली, रऊफ लाला के चरित्र में अनिल जॉर्ज, दद्दा की भूमिका लिलिपुट ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
मिर्जापुर 3 में एक्शन, ड्रामा और इमोशन की भरमार है, जो दर्शकों को बांधे रखती है। यदि आपको बाहुबली और सत्ता की कहानियों में रुचि है, तो यह सीरीज आपके लिए जरूर देखने लायक है।