टाटा ग्रुप के वो 10 बड़े फैसले जिन्होंने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया
रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई, और इसके बाद उन्होंने शिमला के प्रसिद्ध बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की, जिसे एशिया के सबसे प्रतिष्ठित और पुराने बोर्डिंग स्कूलों में गिना जाता है।
बिशप कॉटन स्कूल, शिमला की स्थापना 1859 में हुई थी। यह एशिया के सबसे पुराने स्कूलों में से एक है, जो 56 एकड़ में फैला हुआ है और यहां 8 से 18 साल के लड़कों को शिक्षा दी जाती है।
1999 में फोर्ड ने टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट को खरीदने से मना कर दिया था। फोर्ड के एक अधिकारी ने रतन टाटा से कहा था, "जब आपको कार बिजनेस की जानकारी नहीं थी, तो आप इसमें क्यों आए?"
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा मोटर्स ने 2008 में फोर्ड मोटर से 2.3 अरब डॉलर में लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। JLR के अधिग्रहण को टाटा का फोर्ड से बदला माना जाता है।
रतन टाटा का उद्देश्य था भारत के आम लोगों के लिए एक किफायती कार उपलब्ध कराना। इसी दृष्टिकोण से 2008 में नैनो कार सिर्फ 1 लाख रुपये में लॉन्च की गई,
नैनो की शुरुआती सफलता के बावजूद, इसकी बिक्री घटती चली गई। 2012 में 74,527 यूनिट्स की बिक्री हुई, लेकिन कम मांग के चलते 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया।
रतन टाटा के नेतृत्व में, 2008 में टाटा टेलीसर्विसेज और जापान की एनटीटी डोकोमो ने मिलकर टाटा डोकोमो को लॉन्च किया। कम टैरिफ के चलते यह सेवा भारतीय बाजार में तेजी से लोकप्रिय हुई।
लगातार नुकसान के चलते एनटीटी डोकोमो ने 2017 में टाटा डोकोमो के संयुक्त उपक्रम से अपना हाथ खींच लिया। इसके बाद भारती एयरटेल ने इसका अधिग्रहण कर लिया।
रतन टाटा के मार्गदर्शन में, टाटा ग्रुप ने 2022 में एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में खरीदा। एयर इंडिया अब दोबारा से टाटा के नियंत्रण में है,
रतन टाटा: एक ऐसा महानायक, जिनकी विरासत सदियों तक प्रेरणा देती रहेगी—सादगी, निष्ठा, और अद्वितीय नेतृत्व का प्रतीक।
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