बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया जाएगा। यह अवॉर्ड भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए सर्वोच्च सम्मान है और इस साल मिथुन दा को 8 अक्टूबर, 2024 को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में इसे प्रदान किया जाएगा। मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी सफर जितना चमकदार दिखता है, उतना ही संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक भी रहा है। उनके करियर के कई ऐसे पहलू हैं जो शायद बहुत कम लोग जानते हैं। आइए जानते हैं उनके इस सफर के कुछ अनसुने किस्से।
मिथुन चक्रवर्ती का सफर: कोलकाता की सड़कों से नेशनल अवॉर्ड तक
मिथुन चक्रवर्ती का शुरुआती करियर बेहद संघर्ष से भरा हुआ था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह कोलकाता की सड़कों से निकलकर मुंबई आए थे, और उस वक्त उनके पास कुछ खास नहीं था। उनके पास रहने के लिए जगह तक नहीं थी और कई बार उन्हें फुटपाथ पर सोना पड़ा। उन्होंने बताया कि उनके पास खाना खाने तक के पैसे नहीं होते थे। उनकी यह कहानी आज के यंग स्ट्रगलर्स के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है, लेकिन मिथुन दा ने खुद इसे दर्दनाक बताया। उनका कहना था कि उनकी कहानी सुनकर लोग निराश हो सकते हैं।
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नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद घमंड
मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी पहली फिल्म मृगया (1976) में काम किया, जिसके बाद उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद वह घमंडी हो गए थे। उन्होंने खुद इस बात को माना कि अवॉर्ड मिलने के बाद उन्हें लगा कि वह बहुत बड़े अभिनेता हैं, और उनका एटिट्यूड बदलने लगा। उनके इस एटीट्यूड को देखकर एक प्रोड्यूसर ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
मिथुन दा ने बताया कि उस वक्त उन्होंने खुद को अल पचीनो समझ लिया था और वह ऐसे एक्टिंग करने लगे थे जैसे वह सबसे बड़े स्टार हों। लेकिन जब उन्हें प्रोड्यूसर ने बाहर निकाल दिया, तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। यह घटना उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें वापस जमीन पर लाकर खड़ा किया।
बायोग्राफी लिखने से किया इनकार
मिथुन चक्रवर्ती से कई बार पूछा गया कि वह अपनी बायोग्राफी क्यों नहीं लिखते। इस पर उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी की कहानी बहुत कठिन और दर्दनाक है, जिसे जानकर लोग प्रेरित होने के बजाय निराश हो जाएंगे। उनका मानना है कि उनकी कहानी सुनकर यंग लड़कों का हौसला टूट सकता है, क्योंकि उन्होंने बहुत संघर्ष देखा है और यह सफर आसान नहीं था।
उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा, “मुंबई मेरे लिए बहुत कठिन था, कोई सपोर्ट नहीं था, कई बार भूखा रहना पड़ा, और कई रातें फुटपाथ पर गुजारीं। लेकिन मेहनत और दृढ़ संकल्प ने मुझे यहां तक पहुंचाया।”
2024 दादा साहब फाल्के अवॉर्ड:
दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिलना किसी भी अभिनेता के लिए गर्व की बात होती है, और जब बात मिथुन चक्रवर्ती की हो, तो यह सम्मान उनके दशकों लंबे योगदान का प्रतीक है। दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके प्रतिष्ठित योगदान के लिए यह सम्मान देने का फैसला किया। मिथुन दा ने हमेशा अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीता है और वह हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं जिनकी प्रतिभा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
उनके फैंस और बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने इस खबर के बाद उन्हें बधाइयां दी हैं। सोशल मीडिया पर मिथुन चक्रवर्ती के प्रति लोगों का प्यार उमड़ पड़ा है। फैंस और सेलेब्स ने उन्हें अपने-अपने तरीके से सम्मानित किया और उनकी सफलता की सराहना की।